ठग्गां रो मिटसी ठगवाड़ो

गीत-जांगड़ो

सरपंची रो मेल़ो सजियो, भाव देखवै भोपा।
धूतां धजा जात री धारी, खैरूं होसी खोपा।।1

दूजां नै दाणो नीं दैणो, एक समरथन आपै।
वित लूटण मनसोबा बांधै, जनहित झूठा जापै।।2[…]

» Read more

सरपंची सौरी कोनी है

घर में बड़तां ई घरवाळी,
बर-बर आ बात बतावै है।
जो दिन भर सागै हांडै है,
बै रात्यूँ घात रचावै है।

वो बाबै वाळो बालूड़ो,
अबकाळै आँटो चालै है।
सरपँच बणबा नैं साच्याणी,
सोहन रै सड़फां चालै है।[…]

» Read more

गीत पालवणी

कुरसी तूं तो सदा कुमारी।
थिर तन लचक बणी रह थारी।
बदन तिहारै सह बल़िहारी।
वरवा तणै विरध ब्रह्मचारी।।1

कुण हिंदू कुण मुल्ला-काजी?
तूं दीसै सगल़ां नै ताजी।
रूप निरख नै सह रल़ राजी।
बढ बढ चहै मारणा बाजी।।2[…]

» Read more

आपो वोट अमोल

चाह मिटी ना चिंत गी, चित में रयो न चैन।
सब कुछ ही हड़पड़ सज्या, दिल में व्यापी देन।।

आता के उपदेश कज, हर ले कछु हरमेस।
संत करै ज्यां सामनै, इधक लुल़ै आदेश!!

मैं-हंती ना मद तज्यो, देख चढ्या घण दंत।
चकरी चढ्या चुनाव री, सो जो सुणता संत!!

दुख में ले कानो दुसट, सुख में पाल़ै सीर।
गरज पड़्यां आवै गुड़क, झट ऐ मेल जमीर।।[…]

» Read more

जाग -जाग रै वोटर जाग!

मतदातावां नै समर्पित
**
जाग-जाग रै वोटर जाग!
सो मत रै भारत रा भाग!!
इतरा वरस आऴस मे़ं खोया!
खोटा मिणिया माऴा पो।
भारत री तकदीर बदऴदे,
वांनै अज तक क्यूं नीं जोया?[…]

» Read more

नेता – नीति

।।छन्द – त्रिभंगी।।
धारै धक धोळा चंगा चोळा, बदळै खोळा नित बोळा।
जन-धन सूं झोळा भरै सबोळा, करै ठिठोळा ठग भोळा।
रुळपट कर रोळा करै किळोळा,कुरसी दोळा फिर केता।
मन रा ज मलीणा है लजहीणा, नाग सपीणा ऐ नेता।।1।।[…]

» Read more

नेता सूं रखजै मत यारी!

नेता सूं रखजै मत यारी!
प्रीतम नै कैवै सत प्यारी!!
नेता लेता केवल स्वामी!
देतापण री ना लत धारी!!
जन नै केवल छल़णो जाणै!
अणफट ऊपर है खत भारी!!
झड़ै झांसां पोयण हरदिस!
फसै जकां री है मत मारी!![…]

» Read more

सैणां इम काम सबां सूं सोरो

।।गीत जांगड़ो।।
सैणां इम काम सबां सूं सोरो, झांसां भासण झाड़ो।
भोल़ां नुं भटकाय भावां में, कमतर सहल कबाड़ो।।1
दो उपदेस दूजां नैं दाटक, सरसज बात सुहाणी।
मनमाफक बेवो खुद मारग, केवो काग कहाणी।।2 […]

» Read more

बदळाव

कांई फरक पड़ै कै राज कीं रो है ?
राजा कुण है अर ताज कीं रो है ?
फरक चाह्वो तो राज
नीं काज बदळो !
अर भळै काज रो आगाज
नै अंदाज बदळो !
फकत आगाज ‘र अंदाज ई नीं
उणरो परवाज बदळो !
आप – आप रा साज बदळो […]

» Read more

सुण कलम सांच बोल्यां सरसी

ओ बगत बायरो बतळावै
उणसूं अणजाण कियां बणसी।
जे भाण ऊगणो भूल्यो तो
सुण कलम साच बोल्यां सरसी।।
जण-जण रै मन में भय जब्बर
रण-रण त्रासां रणकार हुवै।
भण-भण अै लोग भला भटकै
खण-खण खोटी खणकार हुवै।।
देवां रै झालर झणकारां
रैयत रुणकारां दबी पड़ी।
फांफी फणगारा फळफूलै
ईमान धरम पर मार पड़ी।।
कण-कण धरती रो कांपै है
आभो किम धीरज अब धरसी।
मरजाद धरम नै राखण हित
सुण कलम साच बोल्यां सरसी।।01।।[…]

» Read more
1 2