नदी रुपाळी नखराळी – कवि दादूदान प्रतापदान मीसण

।।छंद – त्रिभंगी।।
डुंगर सूं दडती, घाट उतरती, पडती पडती, आखडती।
आवै उछळती, जरा नि डरती, हरती फिरती, मद झरती।
किलकारां करती, डगलां भरती, जाय गरजती जोराळी।
हिरण हलकाळी, जोबन वाळी, नदी, रुपाळी, नखराळी।।1।।

आंकडियां वाळी, वेल घटाळी, वेलडियाळी, वृखवाळी।
अवळां आंटाळी, जांमी झाळी, भेखडियाळी, भे वाळी।
तिणने दे ताळी, जातां भाळी, लाखणियाळी लटकाळी।
हिरण हलकाळी, जोबन वाळी, नदी, रुपाळी, नखराळी।।2।।[…]

» Read more

સૂરજ ઝાકળ માં ઝડપાયો!

સૂરજ ઝાકળ માં ઝડપાયો!
રહ્યો ભાગતો કિંતુ બિચારો પરોઢિયે પકડાયો!

લાલ લ્હેરિયુ ઊષા લાડી નું ખેચ્યુતું ગઇ કાલે!
ને તમ તમતા મરચાં જેવા ભર્યા ચુંબનો ગાલે!
બિચારી ને પ્રેમ પિયાલો ‘ના’કહેતાં પણ પાયો![…]

» Read more

तरस मिटाणी तीज!

हड़हड़ती हँसती हरस, तरस मिटाणी तीज।
हरदिस में हरयाल़ियां, भोम गई सह भीज।
भल तूं लायो भादवा, तरस मिटाणी तीज।।
भैंसड़ियां सुरभ्यां भली, पसमां घिरी पतीज।
मह थल़ बैवै मछरती, तकड़ी भादव तीज।।
सदा सुहागण सरस मन, धन उर राखै धीज।[…]

» Read more

संतो! वरे भाव री हेली!

संतो! वरे भाव री हेली!
तनडो भींज्यों मनडो भींज्यों, हरी हुई हिव वेली!
खल़कै खाल़ा, वहता व्हाल़ा, भरिया नद सरवरिया!
कोई उलीचै भर भर खोबा, डूबाणा केई तरिया!
बडी बडी झड़ लगी जोर री, नेवै धरो तपेली!
संतो वरे भाव री हेली!
तनडो भींज्यो मनडो भीज्यो हरी हुई हिव वेली![…]

» Read more

सात रंग रा सरनामा – गज़ल

सात रंग रा सरनामा रो बादल़ कागद!
धरती नें रामा सामा रो बादल़ कागद!
बूंद पडै जद झिर मिर झिर मिर शबद उकलता,
विरह दगध अबल़ा वामा रो बादल़ कागद!
प्रीत, विरह, उच्छब आँसू, सपना, अर यादां,
अणगिणिया कितरा गामां रो बादल़ कागद![…]

» Read more

चौमासो

उमड़ी जद कांठळ उतरादी,
भुरजां में बीजळ पळकी है।
अड़बड़ता वरस्या बादळिया,
खळहळती नदियां खळकी है।।
पालर सूं धोरा हद धाप्या,
तालर में डेडरिया बोलै।
मुधरा बोलै देख मोरिया,
कोयलियां कंठ मीठा खोलै।।

» Read more

सुरराज करी गजराज सवारिय

।।छंद – रोमकंद।।
उमड़ी उतराद अटारिय ऊपड़, कांठल़ सांम वणाव कियो।
चित प्रीत पियारिय धारिय चातर, आतर जोबन भाव अयो।
वसुधा धिनकारिय आघ बधारिय, वा बल़िहारिय बात बही।
सुरराज करी गजराज सवारिय, मौज वरीसण आज मही।।
जियै, मौज समापण राज मही।।1 […]

» Read more

घनश्याम सखी!मन भावणा है

घनघोर घटा नभ में गरजै,
धुनि जाण नगाड मृदंग बजै।
कलशोर करै पिक, मोर करै नृत, ढेलडियां शिणगार सजै।
डक डौ डक दादुर झिंगुर जाणक, बीण मँजीर बजावणा है।
अनुराग सुराग बिहाग समा दिन पावस रा रल़ियावणा है।
घनश्याम सखी!मन भावणा है।
घनश्याम घणा मन भावणा है।।१ […]

» Read more

मनहर नाचै मोर

वादल़िया वल़िया थल़ी, सधरा घुरै सजोर।
छटा अनोखी निरख छिब, मधरा बोलै मोर।।1
आयो सुरपत उमँगियो, काल़ी कांठल़ कोर।
ढब सज लाडो ढेल रो, मनभर नाचै मोर।।2
उमँग्यो मास असाढ में, तण तण वासव तोर।
जबर सवागत जेणरी, मनसुध सजियो मोर।।3 […]

» Read more

रूंख रिछपाळ री करो रिच्छा – पुष्पेन्द्र जुगतावत पारलाउ

।।गीत बडो साणोर।।
परम आसरो पामियो अठे नित पंथिये,
चरम त्रिप्ती थई पूर्ण इंछा।
बावळां नरम नाजुक घड़ी विचारो,
रूंख रिछपाळ री करो रिच्छा।
इये ने राखियों टळै दर आपदा,
सदा चाकर रहै पवन वरसा।
प्राणदा हरित ने पोखजो प्राणियों,
कुदिन निवडे़ हुवे सुखी करसा।

» Read more
1 2 3 4 5