रिषिवर धर रूप अनुपम तरुवर

🌺छंद रेणकी🌺
आतप मँह छाय करे जन जन औ, रुत पावस सिर त्राण करे।
शुभ पवन सुबांटत शीतल सुंदर, विहग सदा जिण पर विहरे।
दिल सूं उपकार करे वह हरदम, जिणरो सभी बखाण करे।
रिषिवर धर रूप अनूपम तरुवर, कायम जग कल्याण करे॥1
तीरथ सरवर वळ ताल नदी तट, वट गुलर अस्वत्थ वळे।
बिच ओरण केर बोर बण ओपत, जंगळ गिर पर जोत जळे।
करता बहु नीड विहग घण कलरव, इसडो कुण उपकार करै।
रिषिवर धर रूप अनूपम तरूवर,कायम जग कल्याण करे॥2 […]