काव्य एवं इतिहास का सुभग सुमेल: गजन प्रकास

प्राक्कथन
राजस्थान वीर प्रसविनी धरा के रूप में विश्वविदित है। इसे धारा तीर्थ के धाम के रूप में जाना जाता है। जहाँ शूरमाओं ने केशरिया कर शाका किए वहीं वीरांगनओं ने अपने स्वाभिमान की रक्षार्थ जौहर की अग्नि में स्नान कर अपनी कुलीन परम्पराओं को अक्षुण्ण रखा। यहाँ के वीरों ने मातृभूमि के मान-मंडन व अरियों के दर्प खंडन हेतु रणांगण में वीरगति प्राप्त करने में मरण की सार्थकता मानकर यह घोषित किया कि ”मरणो घर रै मांझियां, जम नरकां ले जाय।[…]
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