हेत हु की न करो तुम हांसी – प्रबीन सागर से सवैया

सागर रावरे कागद को इत
ज्योंज्यो लगे अरहंट फरेबो।
त्यौं त्यों हमे अखियान अहोनिश
बार की धार धरी ज्यौं ढरैबो।
ज्यों ज्यों प्रवाह बहै अँसुवानको
त्यों त्यों व्रिहा हिय हौज भरैबो।
ज्यों ज्यों सुरंज सनेह चढै मधि
त्यों त्यों जिया निंबुवा उछरेगो।।१[…]