शिक्षक

सोचो उस दिन देश का, होगा कैसा हाल।
शिक्षक ने गर छोड़ दी, नेकनियति की चाल।।

सतयुग से कलियुग तक देखो, ये इतिहास गवाही देता।
शिक्षक हरदम देता रहता, बदले में कब कुछ भी लेता।।

अपने शिष्यों के अंतस में, जिसकी छवि अभिराम है।
ऐसे शिक्षक के चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम है।।

सच को सच कहने की हिम्मत,जो रखता है वह शिक्षक है।
झूठ-कपट से सच्ची नफरत, जो रखता है वह शिक्षक है।।

संस्कारों की फसल उगाता, यह धरती का लाल अनूठा,
पतझड़ में बासंती फितरत, जो रखता है वह शिक्षक है।।[…]

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जाग -जाग रै वोटर जाग!

मतदातावां नै समर्पित
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जाग-जाग रै वोटर जाग!
सो मत रै भारत रा भाग!!
इतरा वरस आऴस मे़ं खोया!
खोटा मिणिया माऴा पो।
भारत री तकदीर बदऴदे,
वांनै अज तक क्यूं नीं जोया?[…]

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टाबरियां रो संकट

लारलै पांच-सात-दस महीनां में अखबारां री खबरां अर अठी-उठी घटती घटणावां री बोहळायत रै बीच अेक तथ इयांकलो उभर’र सामी आयो है, जिणरो चिंतण करतां गैरी चिंता में पड़ज्यावां। कानां नै सुणेड़ी पर भरोसो कोनी हुवै तो आंख्यां नै सामै दीखती अर कागजां पर लिख्योड़ी पर भेरोसो कोनी हुवै। मन अर मगज तो जाबक काम करणो छोडद्यै। मिनखा-सभाव अर मिनखा-परगत रा विरोळकारां जकी बातां मिनख अर मानखै नै समझण सारू बताई, अबार तो बै बीतेड़ी बातां सी लागण लागगी। मिनख-मनोविज्ञान वाळां री बातां ई टेम चूकती सी लागै। विकास री आंधी दौड़, तकनीकी री ताबड़तोड़ अर मा-बाप री भागदौड़ रो नतीजो ओ है कै परिवार नाम री संस्था रो सित्यानास होवण लाग रियो है। […]

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साच माग लीजिए

परे रहेंगे मकान व दुकान सारी यहां,
सावधानी मनमानी काम नहीं आएगी।
कारखाने व खजाने जड़े ही रहेंगे मीत,
माया संची जो तो तेरे अर्थ कछु नाएगी।
खड़े ही रहेंगे अश्व रथ गज शाला बीच,
आ काया भाई उभै बांसन में समाएगी।
अच्छे काम किए है तो बात एक सत्य मनो,
कछु ना रहेगो गीध याद रह जाएगी!!

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खोटे सन्तां रो खुलासो – जनकवि ऊमरदान लाळस

।।दोहा।।
बांम बांम बकता बहै, दांम दांम चित देत।
गांम गांम नांखै गिंडक, रांम नांम में रेत।।1।।

।।छप्पय।।
अै मिळतांई अेंठ, झूंठ परसाद झिलावै।
कुळ में घाले कळह, माजनौ धूड़ मिलावै।
कहै बडेरां कुत्ता, देव करणी नें दाखण।
ऊठ सँवेरे अधम, मोड चर जावै माखण।
मुख रांम रांम करज्यो मती, म्हांरो कह्यो न मेटज्यो।
चारणां वरण साधां चरण, भूल कदे मत भेटज्यो।।2।।[…]

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डफोळाष्टक डूंडी – जनकवि ऊमरदान लाळस

।।डफोळाष्टक-डूंडी।।
(सवैया)
ऊसर भूमि कृसान चहै अन, तार मिलै नहिं ता तन तांई।
नारि नपुंसक सों निसि में निज, नेह करै रतिदान तौ नांई।
मूरख सूम डफोलन के मुख, काव्य कपोल कथा जग कांई।
वाजति रै तो कहा वित लै बस, भैंस के अग्र मृदंग भलांई।।1।।[…]

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नवजीवन संचार करो

प्रतिकूलन से डरने वाले,
कभी किसी के नहीं हुए।
अनुकूलन की राह देखते,
डर डर मर मर सदा जिए।।

बहती धारा के अनुगामी,
सही किनारा कब पाते।
जहां लहर ले जाती है,
वे उसी किनारे पर जाते।।[…]

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दुख का कारण नहीं बनेंगे

जो हरदम आगे रहते हैं,
आगे ही शोभा पाते हैं।
वो एक कदम भी रुक जाएं,
तो सब राही रुक जाते हैं।।

मंजिल को पाना मुश्किल है,
उसूल निभाना और कठिन।
सुख के तो अनगिन साथी हैं,
हैं असल परीक्षक दुख के दिन।।[…]

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नह लीधो हर नाम

नह लीधो हर नाम, कपट अर कूड़ कमायो।
नह लीधो हर नाम, गरथ संचियो गमायो।
नह लीधो हर नाम, चपट सँग कीनी चोरी।
नह लीधो हर नाम, गात तकियो नित गोरी।
भूलियो नाथ भोदूपणै, बातां करी विवाद री।
मोचणी पाप गीधा मुदै, एको गल्ल ना आदरी।।1[…]

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सत पथ

हर इक मोड़ गली चौराहे, रावण का ही राज यहां।
विध-विध रूपाकारी दानव, है जिनके सिर ताज यहां।
राम नाम तो यहां समझलो, लाचारी का सौदा है।
ईमान-धर्म इन सबसे बढ़कर, या पैसा या ओहदा है।
कलयुग पखी राह रावण की, जिन भरमाए भले-भले।
उस पथ पर चलना अति मुश्किल,जिस पर श्री रघुनाथ चले।

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