आव योगिनी बण अठे

आज चाल आकास रो, आपां देखां छोर।
म्है थांनें देख्या करूं, थें देखो मम ओर।।१
मन री गति सूं मानुनी, आवौ मम आवास।
छत पर दोन्यूं बैठ नें, देखांला आकास।।२
गिण गिण तारां रातड़ी, आज बिताद्यां, आव!
अर दोन्यूं ल्यां नाप फिर, आभ तणौ उँचाव।।३[…]