….कविवर हमीरजी रतनू के शब्दों में–
कह तपनीय पीतरंग कुरमदन, जातरूप कल़धोत जथा।
लाख जुग लग काट न लागै, कल़ंक न लागै रांम कथा।।
इस काट रहित कथा को आधार मानकर राजस्थानी कवियों ने राम महिमा और नाम निर्देशन का जो सुभग संदेश जनमानस को दिया है उनमें मेहारामायण (मेहा गोदारा), रामरासो (माधोदास दधवाड़िया) दूहा दसरथराउत रा (पृथ्वीराज राठौड़), रामरासो (सुरजन पूनिया), रामरासो रसायन (केसराज), रामरास (रूपदेवी), रामसुयश (केसोदास गाडण), रुघरास (रघुनाथ मुंहता) भक्तमाल (ब्रह्मदास बीठू), रुघनाथ रूपक (मंछाराम सेवग), रघुवर जस प्रकाश (किसनाजी आढा), के साथ नरहरिदास बारठ, पीरदान लाल़स प्रभृति नाम गिनाएं जा सकते हैं….
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