सियावर रामचंद्र

बरसां सूं अजोध्या नगरी मांय उदासी छायोड़ी है। सगळा लोग-बाग आप-आपरै धरम-करम मांय रच्या-पच्या, आयै दिन रा काम-काज नीत-सास्तरां रै बतायै मुजब कर रिया है। घर-गिरस्थी वाळा लोग अतिथियां री सेवा, माता-पिता रो माण अर गुरुवां रो सनमान पूरै मनोयोग सूं करता आपरो जीवण जीवै। किणीं नैं किणीं सूं कोई अड़ी-ईसको नीं, कोई खींचताण नीं, कोई सिकवा-सिकायत नीं, कोई कोरट-कचेड़ी रो काम ई नीं।[…]

» Read more

भगत माल़ – गीत चित्त ईलोल़ -कवि ब्रह्मदास जी बीठू माड़वा, जैसलमेर

।।गीत – चित्त ईलोल़।।
प्रसण हुय प्रहल़ाद ऊपर, हर दिखाये हत्थ।
पाड़ सब्बल़ दैत्य पाड़्यौ, करण अदभुत कत्थ।।
तौ समरत्थ जी समरत्थ, सारी बात हर समरत्थ।।१

बाल़ धू वन जाय बैठौ, करण सेवस कांम।
देव अपणी ओट लीन्हौ, धणी अवचल़ धांम।
तौ निध नांम जी निध नांम, जग में व्यापियो निध नांम।।२[…]

» Read more

तनै रंग दसरथ तणा

बाप दियो वनवास, चाव लीधो सिर चाढै।
धनख बाण कर धार, वाट दल़ राकस बाढै।
भल लख सबरी भाव, आप चखिया फल़ ऐंठा,
सारां तूं समराथ, सुण्या नह तोसूं सैंठा।
पाड़ियो मुरड़ लंकाणपत, भेल़ो कुंभै भ्रात नै।
जीत री खबर पूगी जगत, रसा नमी रघुनाथ नै।।[…]

» Read more

अभिराम छबि घनश्याम की

।।कवित्त।।

मोरपंखवारा सिर, मुकुट सु धारा न्यारा,
नंद का कुमारा ब्रज, गोप का दुलारा है।
कारा कारा देह, मन मोहता हमारा गिध,
गनिका उबारा अजामिल जिन तारा है।
वेद श्रुति सारा “नेति नेति” जे पुकारा, जसु-
मति जीव-प्यारा मैने, उर बिच धारा है।
आँखिन की कारा बिच घोर हा अँधारा, सखि !
कृष्ण दीप बारा, तातें फैला उजियारा है।।१[…]

» Read more

श्री नरसिँह अवतार की स्तुति – कवि श्री रविराज सिंहढायच (मुळी सोराष्ट्र)

।।छंद – रेणकी।।
सुनियत अत भ्रमत नमत मन हरिसन, भगत मुगत भगवत भजनं,
सुरपत पत महत रहत रत समरत, सत द्रढ व्रत गत मत सजनं,
धत लखत रखत जगपत उर धारण, सुरत पुकारण श्रवण सुणै,
भट थट असुरांण प्रगट घट भंजण, बिकट रुप नरसिँघ बणै,
जिय बिकट रूप नरसिंघ बणै।।1।।[…]

» Read more

न्याय पख तोड़दे बंधण सह नारायण

न्याय पख तोड़दे बंधण सह नारायण,
सरायण जगत रा काज सारा।
परायण-धरम रा सको जग पाल़वा,
करायण जनमतां मुगत कारा।।1

वंश रा दीप तूं कीरती बधावण,
अंश वसुदेव रा जगत ओटो।
तोड़िया जनेतां संस सह तड़ाकै,
खाल़ियो कंस सो दैत खोटो।।2[…]

» Read more

राधारमण देव स्तवन

।।छंद त्रिभंगी।।
हे हरि मन हरणं, अशरण शरणं, राधा रमणं, गिरिधरणं।
आपद उद्धरणं, नित प्रति स्मरणं, सुधा निझरणं, बरु चरणं।
ब्रजधाम विचरणं, कुंडल़ करणं, वारिद वर्णं, जगवंद्या।
माधव मुचकुंदा!, नागर नंदा!, बालमुकुंदा! गोविंदा!!१!![…]

» Read more

ध्रुव स्तुति – महात्मा नरहरिदास बारहट

“अवतार चरित्र” ग्रन्थ में ध्रुव-वरद अवतार की स्तुति

।।छन्द – कवित्त छप्पय।।
ऊँकार अपार, अखिल आधार अनामय।
आदि मध्य अवसान, असम सम आतम अव्यय।
एक अनेक अनंत, अजीत अवधूत अनौपम।
अनिल अनल आकाश, अंबु अवनी मय आतम।
उतपत्ति नाश कारन अतुल, ईश अधोगत उद्धरन।
अध मध्य ऊर्ध व्यापित अमित, तुम अनंत असरन सरन।।1।।[…]

» Read more

गजेन्द्र मोक्ष पर समान बाई का सवैया

पान के काज गयो गजराज,
कुटुम्ब समेत धस्यो जल मांहीं।
पान कर्यो जल शीतल को,
असनान की केलि रचितिहि ठाहीं।
कोपि के ग्राह ग्रह्यो गजराज,
बुडाय लयो जल दीन की नांहीं।
जो भर सूँड रही जल पै तिहिं,
बेर पुकार करि हरि पाहीं।।[…]

» Read more

जावण नीं द्यूं नंदकुमार

जावण नी द्यूं नंद कुमार!
रोकण करसूं जतन हजार!

नैण कोटड़ी राज छुपायर, बंद पलक कर द्वार।
दिवस रैण प्हेरो हूं देवूं, काढे़ काजल़ कार!।।१

जावण नी द्यूं नंद कुमार!
रोकण करसूं जतन हजार!

रोज रीझावूं रसिक मनोहर, निज रो रूप निखार।
प्हेर पोमचो नाचूं छम छम, सज सोल़े सिणगार।।२[…]

» Read more
1 2 3 4 5