तरस मिटाणी तीज

भलो थल़ी में भादवो, रमूं सहेली रीझ।
हड़हड़ती हँसती हरस, तरस मिटाणी तीज।।
हरदिस में हरयाल़ियां, भोम गई सह भीज।
भल तूं लायो भादवा, तरस मिटाणी तीज।।
भैंसड़ियां सुरभ्यां भली, पसमां घिरी पतीज।
मह थल़ बैवै मछरती, तकड़ी भादव तीज।।
सदा सुहागण सरस मन, धन उर राखै धीज।
भाई!लायो भादवा, तरस मिटाणी तीज।।
मही घमोड़ै माटलां, रे थल़ रमणी रीझ।
भल सुखदायक भादवा, तो सँग खुशियां तीज।।
सदन हींड तणियां सबल़, पुनि मन बै पोमीज।
जुड़ जुड़ साथण झूलती, तण तण भादव तीज।।
साहिब ज्यांरा सदन नीं, खरी हेली गी खीझ।
म्हैं तो मनभर मांणसूं, तकड़ी भादव तीज।।
सांवरियो ई साज है, सांवरियो सिंणगार।
नीं निरखूं म्है नूर नैं, धुर उर सांवर धार।।
~~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”