ठा पड़सी बींदणी उठाण्यां

आप नहलै पर दहलै री बात सुणी हुवैला। इण दुनियां मांय अेक सूं बध’र अेक हुंस्यार अर कलाकार बैठ्या है। ‘थूं डाळ-डाळ तो हूं पात-पात’ री बात जुग चावी है। इण कारण अपणै आपनैं डोढ-हुंस्यार अर अकल रा उजीर मानणियां लोगां सारू अेक पुराणी बात कैवतां वांनैं संयत अर अनुशासित रैवण री सीख देवूं। ‘बियां सीख सरीरां ऊपजै अर दिया लागै डाम’ वाळी बात ई आपरी जाग्यां ओपती है फेरूं ई बात सांतरी है इण कारण आपसूं साझा करण रो मन बणग्यो।
अेकर अेक गाम में अेक सेठजी हा। सेठजी घणां धनवान ई कोनी हा अर रूपवान तो बिल्कुल ई कोनी हा। हा जिकां में ई अेक आंख री सोझी जाती री इणसूं लोग काणियों काणियों करण लागग्या। बांणियै रो बेटो। पांच रिपिया कमावण खावण री लकब ली। घरबार तो ठीक ठाक चालै पण ब्याव रो कोई गेलो बैठ्यो कोनी। च्यारां कानीं हाथ-पांव मार धाप्या पण कोई आपरी बेटी इण काणै अर कुरूप सेठ नैं देवण सारू त्यार नीं। कोई बाप जे करड़ी छाती कर’र सगपण री बात चलावै तो आड़ोसी-पाड़ोसी पार कोनी पड़ण द्यै। बात चलावतां ई लुगायां रा टुणकला त्यार। ईं नांव तो छोरी नैं बोडि़यै कूवै में न्हाख देता। सूओ सी छोरी नैं काणैं रींछ लारै कियां करीजै। इणनैं परणावण सूं तो आछो कै कंठ मोस’र मारद्यो बेटी नैं। इयांकली बातां सुणतां कोई गिनायत त्यार कोनी हुयो। सेठ आपरी जात सूं बारै ई आफळ कर धाप्यो पण दूजी जात में ई पार कोनी पड़ी।
छेवट अेक सगाई-बगस सूं उणरी मुलाकात हुई। गामां मांय सगाई-बगस री मोकळी पूछताछ हुवै। वां रो काम ई रिश्तां-नातां रो ध्यान राखणो। छोरा-छोर्यां री उमर, रंग, हाइट, पढाई अर सगळी आछी-माड़ी बातां रो लेखो जोखो राखै। सगाई बगस रो ओ व्यवसायिक धंधो हुवै। दोनां कानी सूं किरायो ले लेवै। दोनूं घरां सूं सीख-बाड़ी लेवै। पांच रिपियां रो लेण-देण करावै। इणमें भी भरम बणायां राखै कै दोनूं गिनायत आपस में बात ई नीं कर सकै। सगाई री बात सूं लेय’र ब्याव करावण ताणी आं री घणी पूछ रवै। पछै जियां जियां दोनां कानी रा साच ऊघड़ै तो वां घरां सूं आं रो नातो कटतो जावै। लारलै जलमां रै करमां रै प्रताप सूं सेठां नैं अेक सगाई बगस मिल्यो। बात-चीत हुई। सगाई री हां भरली अर किरायो भाड़ो लेय रवाना हुग्यो।
सगाई-बगस सेठ रै गाम सूं सौ-डेढ सौ किलोमीटर दूर कोई गाम में पूग्यो अर बठै पड़ताळ करी। अेक सेठ रै डावड़ी कुंवारी। सगाई सारू ताफड़ा तोड़ै पण सगाई नीं होवै। सगाई बगस जा मिल्यो सेठां सूं। आपरै काणियै अर कोजै सेठ री बडायां रा पूळ बांध्या। टाबर कांई है हीरो है हीरो। देखण में कामदेव नैं ई लारै छोडै। चोखो घराणो, चोखो बिणज-बोपार, चोखी साख, चोखा संस्कार। धन-माया रा भंडार, आघो दियां पाछो आवै। रोजीनां सगायां पर सगायां आवै पण वां री सोच आ ई है कै संस्कारी अर आछै घराणै री डावड़ी मिलै। अर आपरो घर-घराणो देख’र मनैं लागै कै अै तो दोनूं अेक-दूजै सारू ई बण्या है। सगाई बगस आपरी बात सड़ासड़ केवतो जावै।
पैली वाळा लोगां रै अठै लड़की देखण री रिवाज कोनी ही। लड़को ई बिनां देख्यां सगाया हो जाती। बातां बातां में आ सगाई पक्की होगी। सगाई बगस घणा राजी। चोखी सीख-बाड़ी ली अर आया पाछा। सेठां नैं खुस खबरी दी। बठै जियां लड़कै री बडाई करी बियां ई अठै लड़की री कर दी। छोरी कांई है चांद रो टुकड़ो है। सूअै री चूंच जिसी नाक, डाबर नेण, केळू री कामड़ी हुवै ज्यूं छरहरी अर रूप री डळी है। काम री करता, संस्कारी, शीलवान अर स्याणी टाबर। आछो घर-घराणो। ब्याव री उडीक मांय बूढै होवतै सेठ नैं सगाई-बगस री बात रै सागै ई लड़की रो चेहरो दीखण लागग्यो। उणरी खुसी रो ठिकाणो नीं।
इयांकला कामां में चट मंगनी अर पट ब्याव हुया करै। दसवैं दिन रो सावो निकळ्यो। सेठ आपरै दो च्यार यार-बेलियां री जान बणाय परणीजण पधार्या। सगाई बगसजी आपरी कला दिखावतां काणती आंख पर सेवरो सावळ सर लगा दियो। सेठ बींद बण्योड़ो नखरा करतो चालै। सासरै पूग्या। सामेळो हुयो। सासू आरतो हुग्यो। बींद आपरी हुंस्यारी इती राखी कै कोई नैं ई काणो होवणो रो ठा ई नीं पड़्यो। फेरां में बैठग्या। पंडित मंत्र बोल्या अर हथळेवो जुड़ायो। सगाई बगसजी घणां राजी। वांनैं आपरी हुंस्यारी पर इधको गुमान हुयो। मन ई मन पोमीज्या। वांसूं आपरी खुसी अर जीत पचाईजी कोनी। वां बींद रै कनैं जाय होळै सी कान में कैयो – जुग जीत्यो रै काण्यां । अरे काणियां थूं तो जुग जीतग्यो। बींद ई मुळक्यो अर मूंछ पर हाथ फेर्यो। आ बात लड़की रै घरवाळा अर रिश्तेदार ई देखै हा। जियां ई सगाई बगस कैयो कै जुग जीत्यो रै काण्यां इतरै तो सामलां मांय सूं अेक भाई जोर सूं बोल्यो कै ठा पड़सी बींदणी उठाण्यां। बींदणी पांगळी ही। बींद अर सगाई बगस जी री जाड़ां चिपगी।
इण बात सूं सीख लेवतां बडेरां कैयो कै पाणी पीज्यो छाण अर सगपण कीज्यो जाण। सगाई अर रिश्तेदारी मांय छुपाव-दुराव अर धोखाधड़ी नहीं करणी चाईजै।
~~डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”