ठग्गां रो मिटसी ठगवाड़ो

गीत-जांगड़ो
सरपंची रो मेल़ो सजियो,
भाव देखवै भोपा।
धूतां धजा जात री धारी,
खैरूं होसी खोपा।।1
दूजां नै दाणो नीं दैणो,
एक समरथन आपै।
वित लूटण मनसोबा बांधै,
जनहित झूठा जापै।।2
पड़ियां अड़ी दांत ना पूंछै,
खोद्यां राखै खाडा।
चारजनम रो वैर चितारै,
आय ऊभै झट आडा।।3
पद पायां बहिया नीं पाधर,
मन ताकत नीं माया।
निंबू निचो बताई नितपण,
भलपण म्हांरी भाया!!4
पड़त मांय काटिया पट्टा,
दड़क मोफत में दीधी।
गल़ी गौंरवों दाब गाढ सूं,
किरपा जन पर कीधी।।5
बादल़ देख मोरिया बोलै,
छक नाचै छत्राल़ा।
चाव चुणावां हुइया चेतन,
कपटी मन रा काल़ा।।6
मनरेगा जीमण मन माचै,
बजट बीजोड़ो बाकी।
घुरड़ खायग्या गांम समूल़ो,
डुल़ियोड़ा हद डाकी।।7
न्याय निवेड़ण बातां नांमी,
आप अनै अनुगांमी।
धंधा ऊंधा जिता धरा पर,
खूब करै बिन खांमी।।8
आंख्यां मांय धूरता अणभै,
बडपण इमरत बोलां।
धूड़ न्हांख जनता रै नैणां,
पद लोभी हद पोलां।।9
कदै जागसी जनमन जोवो,
बुद्धपण कदै विकासी।
धूतां नै कद चवड़ै धाड़ै,
वचनां काच बतासी?10
कदै आपरी ताकत अणडर,
तण कद करसी टेकै।
मिनखाचार दया जिण मन में,
लेसी कद जन लेखै?11
कहो जात सूं ऊपर किणदिन ,
बसू लोग कद बैसी?
मत री कीमत मान अमोलख,
दतचित्त मिनखां दैसी।।12
धूत बजारी धजा धरम री,
वसू लखैली बातां।
कपटीड़ा होसी सब कानै,
घट दब जासी घातां।।13
स्वारथ छोड सजैला सबजन,
हक-कज अवस अड़ैला।
ठग्गां रो मिटसी ठगवाड़ो,
जोरां झाग झड़ैला।।14
पांत-जात रा झंडा परहर,
अवस हुसी जन एको।
उणदिन गीध हुवैला अवनी,
लोकतंत्र रो लेखो।।15
~~गिरधरदान रतनू दासोड़ी