उण अनमी अवनाड़ां रा सीस!!

मन री बातां करणियां रै
कांई नीं है कोई
ऐड़ी रीत,
जिणसूं ऊग जावै
कठै ई ऊंडै काल़जै
प्रीत रा पनूरा!!
कांई नीं है
वा कनै
आंशुवां रो कोई समंदर!
छौ, कोई बात नी!
संवेदनावां तो
शायद होवैली जीवती!
लागै है तो इंया है
जाणै अजै
आख्यां में पाणी है!
पण माफ करजो
म्है पतीजूं नीं
जद जद ई पढूं
अखबार रो पैलो पानो
परगाल़ रो उठतां ई!
कुरदरसणिया आखर
कंपाय दे काल़जो!
धूजाय दे गोडा
अणाय दे हिंयाबूझी
कै आज भल़ै
भारत रै मोभ्यां रा
काट लिया सीस
रणसैज सूतां रा
पाक रै बोतां!
समूल़ै भारत रै जोतां-जोतां रै!!
कांई मन री बातां
करणियां
कदै ई सोचियो होसी
कै किण खाडै
सूगली नाल़ी
कै गिंडसूरियां रै
पगां में रडबड़ता होसी
उण अनमी अवनाड़ां रा सीस!!
जिणांरी अणियाल़ी
मूंछां माथै मोदीज र
नाखती ही थूथको हो
बूढी भारत डोकरड़ी
फैरती ही माथै रै
काल़ै भमराल़ै केसां में
लाड सूं धूजती अखी
आशीष रो हाथ!
कांई मन री बात गोखणियां गोखी होसी
आ बात कै
उण अडर अजरेलां रै
मूंडै माथै भणकती
होसी माखियां!!
अर माथै में
किलबिलता होसी
नापाक पाक रा
गंदी नाल़ी रा कीड़ा!!
कांई मन री बात करणियां
कदै ई जाणी होसी
किणी उण मा रै
मन री बात!
पूछी होसी उण लाडी रै
कुरल़ावतै कालजै नै
मनगत री कै
मन री बात करणियां
कदै टंटोल्यो है
उण बाल़कियां रो
भोल़ो मन कै
आ सीस विहूणी देह
म्हारै बाप री कींकर है?
मन री बात करणिया
कदै ई मन ई परख लेता
कै
देश री रुखाल़ी करणियै
बेटे!!
पति!!
बाप!!
नै धरम डाड
कितरा दिन
दैणी पड़सी
अर कितरा दिन
लैणा पड़सी
मन मार र ऐ थथूबा!!
गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”