वाह रे कळजुग रा कंवरां

वाह रे कळजुग रा कंवरां
थांरा वारणा लेऊं कै लत्ता
बेटी रा बापां!
कांण कायदां री बेकुंटी ई काढ़ दी
कीं तो राम नैं माथै राख्यो हुतो
सगळा ई बैठ’र सोवै पण
थे तो ऊभा रा ऊभा ई सोयग्या
अर साव सूनैं अहंकार में खोयग्या
अरे हियाफूठां कीं तो सोच्यो हुतो
आँख मींच’र ई कदै ई अँधेरो करीजै?
इण संसार में सगळा ई रांध’र चाखै
पण थे तो इयां बोलो जाणै
थारै तो चाख’र ई रांधेड़ी है!
याद राख्या!
ओ काळ रो पहियो
कदैई रुकै कोनी
अर इणरो उसूल है कै
जको कोई चूक करै
उणसूं ओ चूकै कोनी
थे ठाडी चूक करी है अर
करी काईं कर्यां ईं जा रियो हो
मतोमती पाप री मटकियां
भर्यां ई जा रिया हो
वाह रे श्रवणकुमार रा सांगियां!
राम अर रहमान रा मार्यां!
थांनैं माईतां रै माण में ई
हाण दीखण लागगी
जकां री छाया में
जायां रै सुख रा खेत फळापै
वांरी बूढ़ी काया नैं
थांरै अपकारां री आंधी में
सूख्योड़ै सिणियैं दाईं
दापळतां छापळतां अर
उठतां-पड़तां देख’र ई
थांरो काळजो कोनी कांप्यो
वाह रे पाखाण-हियां!
थांनैं ठाह है?
थांरी नाजोगी नीत अरस्वारथू-प्रीत सूं पीड़ीजेड़ा
आखता हुयोड़ा माईतां सूं
तो सूख्योड़ा सिणियां ई सौरा है
जका आंधी सूं जीव छुडा’र
कोई बोझा-बांठां रो
सरणो तो ले सकै
आंधी नैं आंधी तो कैय सकै
पण माईत तो माईत है
वे तो इयां भी नीं कर सकै
जे इयां करै तो
वांरै सपूतां री हुज्यावै हेठी
वांरै कुळ री धवळ धजा में
लाग जावै काळो दाग
वै तो थांरै बळबळता
सबद बाणां नैं
सामी छाती सहण करण सारू
अभिशप्त है
क्यूंकै वांनै प्यारी है
आपरै कुळ री काण
आपरै बेटां रो मांण
अर मिनखपणै री बांण
अर इणीं बांण रै पांण
माईंता आपरो सौक्यूं
परिवार पर वार दियो
पण थे काईं कर्यो
थे तो सौक्यूं ई परवार दियो।
वाह रे कळजुग रा कंवरां!
म्हनैं बताओ!
कै थांरा वारणां लेऊं कै लत्ता।
थांरा वारणा लेऊं कै लत्ता
बेटी रा बापां!
कांण कायदां री बेकुंटी ई काढ़ दी
कीं तो राम नैं माथै राख्यो हुतो
सगळा ई बैठ’र सोवै पण
थे तो ऊभा रा ऊभा ई सोयग्या
अर साव सूनैं अहंकार में खोयग्या
अरे हियाफूठां कीं तो सोच्यो हुतो
आँख मींच’र ई कदै ई अँधेरो करीजै?
इण संसार में सगळा ई रांध’र चाखै
पण थे तो इयां बोलो जाणै
थारै तो चाख’र ई रांधेड़ी है!
याद राख्या!
ओ काळ रो पहियो
कदैई रुकै कोनी
अर इणरो उसूल है कै
जको कोई चूक करै
उणसूं ओ चूकै कोनी
थे ठाडी चूक करी है अर
करी काईं कर्यां ईं जा रियो हो
मतोमती पाप री मटकियां
भर्यां ई जा रिया हो
वाह रे श्रवणकुमार रा सांगियां!
राम अर रहमान रा मार्यां!
थांनैं माईतां रै माण में ई
हाण दीखण लागगी
जकां री छाया में
जायां रै सुख रा खेत फळापै
वांरी बूढ़ी काया नैं
थांरै अपकारां री आंधी में
सूख्योड़ै सिणियैं दाईं
दापळतां छापळतां अर
उठतां-पड़तां देख’र ई
थांरो काळजो कोनी कांप्यो
वाह रे पाखाण-हियां!
थांनैं ठाह है?
थांरी नाजोगी नीत अरस्वारथू-प्रीत सूं पीड़ीजेड़ा
आखता हुयोड़ा माईतां सूं
तो सूख्योड़ा सिणियां ई सौरा है
जका आंधी सूं जीव छुडा’र
कोई बोझा-बांठां रो
सरणो तो ले सकै
आंधी नैं आंधी तो कैय सकै
पण माईत तो माईत है
वे तो इयां भी नीं कर सकै
जे इयां करै तो
वांरै सपूतां री हुज्यावै हेठी
वांरै कुळ री धवळ धजा में
लाग जावै काळो दाग
वै तो थांरै बळबळता
सबद बाणां नैं
सामी छाती सहण करण सारू
अभिशप्त है
क्यूंकै वांनै प्यारी है
आपरै कुळ री काण
आपरै बेटां रो मांण
अर मिनखपणै री बांण
अर इणीं बांण रै पांण
माईंता आपरो सौक्यूं
परिवार पर वार दियो
पण थे काईं कर्यो
थे तो सौक्यूं ई परवार दियो।
वाह रे कळजुग रा कंवरां!
म्हनैं बताओ!
कै थांरा वारणां लेऊं कै लत्ता।
~~-डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’