यादों की देवी तुझै
गडियोडो धन थूं सखी, पडियौ मन संदूक।
खडो रहै प्हौरो भरूं, हाथ-कलम-बंदूक॥1
(गडा खजाना तू सखी, पडा मनोसंदूक।
खडा खडा पहरा भरुं, तान कलम -बंदूक॥1)
बांटवाड मे म्हौ मिळी , यादौ री जागीर।
थनैं छिन म्हासूं सखी, वा म्हौ कियौ अमीर॥2
(बँटवारे मैं है मिली, यादों की जागीर।
तुझको उसनें छीनकर, मुझको किया अमीर॥2)
मन मेळू मळियौ म्हनैं , आंगणियै जिम नीम।
सदा निरोगी हुं सखी, हरपळ संग हकीम॥3
(मुझको साजन यूं मिलै, जैसे आंगन नीम।
अब मैं चुस्त दुरुस्त हुं, हर पल साथ हकीम॥3)
जद सूं थारी याद रा, खिलिया मन्न पलास।
उण दिन सूं अंतस सखी, छायौ है मधुमास॥4
(जब से तेरी याद के, मनमैं खिले पलास।
उस दिन से छाया सखी, जीवन में मधुमास॥4)
हर पळ थारी याद रो, धारै भगवौ भेस।
भाव घरां भटकत रहै कविता रो दरवेस॥5
(हरपल तेरी याद का, पहने भगवा भेस।
दस्तक देता भाव-घर, कविता का दरवेस॥5)
जद थें मिळवा आविया,लगा याद रा पंख।
मन मिंदर मँह बाजिया, ढोल नगाडा शंख॥6
(जब तू मिलने आ गई, लगा याद के पंख।
मन -मंदिर बजने लगै, ढोल नगाडै शंख॥6)
बजी छंद री झालरां, लय रा बजै नगाड।
मन में थारी याद रा,”धींगड धींगड धाड॥”7
(छंदौ की झालर बजै, लय के बजै नगाड।
मुझमे तेरी याद के,”धींगड धींगड धाड”॥7)
करुं भाव सूं आरती, सुर री छेड सितार।
यादों री देवी थनैं, वंदन वार हजार॥8
(करुं भाव से आरती, सुर की छेड सितार।
यादों की देवी तुझै,वंदन बार हजार॥8)